श्री राम मंदिर (Ram Mandir)
Ram Mandir, हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार प्रभु श्री राम जी का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था| इसका उल्लेख वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण तथा तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस में भी किया गया है|
राम मंदिर यानी की श्रीराम जन्मभूमि काफी समय से विवादित रहा है, उनके जन्मस्थान पर हिन्दू उपासकों द्वारा एक राम मंदिर बनाया गया था | जिसको मुगल आक्रमणकारी बाबर ने ध्वस्त करके उसी जगह पर एक मस्जिद बना दिया|
भारत में कहां पर स्थित है राम जन्मभूमि
अयोध्या यानि की राम जन्मभूमि उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित अयोध्या जिला में है | अयोध्या एक पवित्र नगरी है तथा यह पवित्र नदी सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है|
हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है राम मंदिर के इस नगर को मनु के द्वारा बसाया गया था| यह नगर सरयू नदी के तट पर लगभग 144 किलोमीटर लंबाई एवं 36 किलोमीटर चौड़ाई में फैला हुआ है |
अयोध्या प्रमुख रूप से हिंदू मंदिर का नगर है|
यहां का प्रमुख रेलवे स्टेशन अयोध्या स्टेशन है ,तथा अयोध्या का मुख्य पर्व श्री रामनवमी है जो की मार्च अप्रैल महीने में बड़े धूमधाम सेमनाया जाता है|
यहां पर कई पवित्र स्थल है , जैसे श्री राम जन्मभूमि, हनुमान गढी , कनक भवन, राजद्वार मंदिर, जैन मंदिर, राघव जी का मंदिर, नागेश्वर नाथ मंदिर, आचार्य पीठ श्री लक्ष्मण किला,तथा राम की पौढ़ी आदि है |
श्री राम जन्मभूमि विवाद कब से है
1853 में जन्भूमि के लिए पहली बार संघर्ष हुआ था ,जिसमें , यहां की जमीन को लेकर संघर्ष हुआ था |
उस समय अंग्रेजों का शासन हुआ करता था ,|अंग्रेज शासकों इसे ने संज्ञान में लेते हुए 1859 में इसका बटवारा किया ,कि मुसलमान को अंदर का हिस्सा नमाज अदा करने के लिए तथा हिंदुओं को बाहर का हिस्सा पूजा पाठ करने का फैसला सुनाया |
सन 1949 से राम जन्म भूमि को लेकर विवाद काफी बढ़ गया | तब से लेकर 2019 तक इसकी सुनवाई अलग-अलग कोर्ट में चलती रही|
श्री राम मंदिर (Ram Mandir) जन्मभूमि विवाद क्या है
Ram Mandir,अयोध्या विवाद ऐतिहासिक व राजनीतिक विवाद है भारत के आजादी के बाद यह काफी चर्चित विवाद हो गया| और इसका विवाद का मूल कारण राम मंदिर जन्मभूमि की ज़मीन को लेकर था| जो की 1528 में बाबर द्वारा तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण करा दिया गया था |
6 दिसंबर 1992 में एक राजनैतिक रैली के दौरान रैली के लोगों द्वारा नष्ट कर दिया गया | जो की हिन्दू और मुस्लिम के बीच एक बड़े दंगे में बदल गया|
दंगे को देखते हुए यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा जो की भूमि अधिग्रहण का मामला दर्ज किया गया
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया की यहां की टोटल जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया जाए, एक हिस्सा राम मंदिर के लिए तथा दूसरा हिस्सा मस्जिद के लिए तथा तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को दिया जाना था|
9 नवंबर 2019 को रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज हाईकोर्ट द्वारा किए गए फैसले को खारिज़ कर दिया| तथा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह भूमि राम मंदिर बनाने के लिए यह एक हिंदू ट्रस्ट को दिया जायेगा तथा मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम ट्रस्ट को मस्जिद के एवज में 5 एकड़ बराबर अन्य किसी स्थान पर दे दिया जायेगा। जो की विवादित जमीन से लगभग दो गुना जमीन थी|
तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा घोषणा किया गया की सरकार द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन भी हिंदू ट्रस्ट को दे दी जाएगी|
राम मंदिर का पूरा मामला शुरू से लेकर अंत तक संक्षेप में
Ram Mandir, हिंदू धर्म के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या नगरी में सूर्यवंश के राजा दशरथ जी के यहां श्री राम जी का जन्म हुआ था जिन्हें भगवन श्री बिष्णु जी का अवतार माना जाता है| तब से वहां श्री राम जन्मभूमि स्थल के नाम से जाना जाने लगा|
त्रेता युग के बाद द्वापर युग का अंत हुआ तथा कलयुग चल रहा है त्रेता युग से लेकर कलयुग तक उसे स्थान को पवित्र स्थान मानकर हिंदू धर्म द्वरा पूजन अर्चन किया जा रहा था|
लेकिन 1528 में श्री राम मंदिर को तोड़कर बाबर के सेनापति आमिर बाकी द्वारा बाबरी मस्जिद बनाई गई थी|
1853 में पहली बार हिंदू और मुसलमान के बीच में जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ|
विवाद को बढ़ते देखकर 1859 में अंग्रेजों ने इसका टेंपरेरी समाधान निकाल, मुसलमान के लिए अंदर का हिस्सा नमाज़ अदा तथा हिंदुओं के लिए बाहर का हिस्सा पूजा पाठ में उपयोग करने के लिए कहा |
आजादी के बाद 1949 में अंदर के हिस्से में भगवान श्री राम जी की मूर्ति हिंदू समुदाय द्वारा रख दी गई जिसके द्वारा हिंदू और मुस्लिम में काफी तनाव हो गया इस तनाव को देखते हुए सरकार ने इस जगह पर प्रतिबंध लगा दिया| और यह मामला जनपद नायलालय में चला गया|
लम्बी सुनवाई के बाद सन 1986 में जिला न्यायाधीश ने इस जगह को हिंदू समुदाय के लिए पूजा करने के लिए खोलने का आदेश दिया जिससे देश के मुस्लिम समुदाय के लोग काफी नाराज हुए|
एक राजनीतिक रैली के दौरान 1992 में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया, जिसमें उस रैली में लगभग डेढ़ लाख लोग (150,000) उपस्थित थे| जिसके फल स्वरुप पूरे देश में संघर्ष शुरू हो गया और दंगे में 2000 से ज्यादा लोगों को जान गवाना पड़ा|
इन हालात को देखते हुए 10 दिन बाद लिब्रहान समिति बनाया गया जिसमें आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एम. एस. लिब्रहान को कमेटी का सदस्य मुख्य बनाया गया|
इस कमेटी को मामले की छानबीन करने के पश्चात रिपोर्ट देने को कहा गया जिसके लिए इन्हें 3 महीने का समय दिया गया था लेकिन आयोग ने रिपोर्ट देने में पूरे 17 साल लगा दिए|
जांच आयोग द्वारा कार्यकाल 48 बार बढ़वाया गया तब जाकर लिब्रहान आयोग ने 30 जून 2009 को 700 पन्नों रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह व गृह मंत्री पीवी चिदंबरम को दिया|
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में विवादित भूमि को राम जन्मभूमि के नाम से फैसला सुनाया लेकिन मुस्लिम पक्षों ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया फिर उन लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया|
सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल बाद 11 अगस्त 2017 से प्रतिदिन सुनवाई आरंभ किया
जिसमें की पांच जजों का एक समिति बनाई गई जिसके मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई जी ने लगातार सुनवाई के बाद 9 नवंबर 2019 को इसका फैसला दिया|
सर्वोच्च न्यायालय के पांचो सदस्य द्वारा 5-0 से सहमत होकर विवादित स्थल को राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया तथा मस्जिद के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने का आदेश सरकार को दिया गया|
तब जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा वहां एक भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण 2019 से प्रारंभ किया गया|
यह भी पढ़े – PM Modi ने कहाँ खर्च किया 205 लाख करोड़, क्यों देश का क़र्ज़ बड़ा ?