जाने किस देश में EVM MACHINE USE नहीं होता है|भारत में EVM MACHINE को लेकर घमासान क्यों है ? 2024

हमारे देश में पहला सामान्य चुनाव 25 अक्टूबर 1951 को हुआ था जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की जीत हुई थी और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी प्रधानमंत्री बनाए गए थे | इसलिए इन्हें भारत का प्रथम गणतंत्र रूप से चुने गए प्रधानमंत्री भी कहतें है|

हमारे देश में जब-जब चुनाव का माहौल आता है तो  ईवीएम का मुद्दा काफी गर्म हो जाता है. EVM MACHINE से चुनाव करना बेहद सस्ता हुआ आसान तरीका है। 

लेकिन जब से देश में  EVM से चुनाव होना शुरू हुआ है हर बार यह विवादों से गिर जाता है।  सन 2014  के बाद से  EVM MACHINE का उपयोग लगभग हर चुनाव में जैसे लोकसभा ,विधानसभा ,नगर पालिका तथा  नगर परिषद आदि सभी चुनाव में होने लगा है | 

जैसे-जैसे इसका उपयोग बढ़ता गया वैसे-वैसे लोगों का शक  EVM पर और गहराता गया. हमेशा विपक्षी पार्टी इसका विरोध करती है

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विपक्षी पार्टी का कहना है कि  EVM MACHINE को हैक करके मौजूदा पार्टी अपने हित में उपयोग करती है |

 

इलेक्शन कमीशन (ELECTION COMMISSION) क्या कहता है-

लेकिन इलेक्शन कमिशन इससे पारदर्शी व निष्पक्ष चुनाव कराने की घोषणा करता है। तथा  सभी पार्टियों से कहता है की  है कि  EVM MACHINE द्वारा कराए गए चुनाव व  मतगणना में किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। | 

इसके टेक्निकल सिक्योरिटी को देखते हुए ELECTION COMMISSION कहता है कि, इसमें किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जा  सकता ,ना ही किसी बाहरी डिवाइस को चाहे इंटरनेट  या ब्लूटूथ या वाई-फाई से कनेक्ट नहीं  किया जा  सकता है | 

भारतीय न्यायालय का फैसला –

EVM MACHINE से जब से चुनाव हो रहे हैं, तब से लगभग सभी बार EVM के मुद्दे न्यायालय तक पहुंचते हैं। 

देश का हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट हो सभी ने अपने फैसले में EVM MACHINE को सही ठहराया या फिर EVM के पक्ष में फैसला सुनाया है। 

इसे बनाने वाली कंपनियां क्या कहती है ?

मुख्य रूप से इसको बनाने वाली और प्रोग्राम करने वाली  दो भारतीय सरकारी कंपनी है , जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड बेंगलुरु और  इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन आफ इंडिया हैदराबाद है। 

यह कंपनियां दावा करती है कि इसमें लगे मेमोरी चिप केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है।  उसके बाद ना इसे पढ़ा जा सकता है न ही  दोबारा प्रोग्राम किया सकता है ( एक प्रकार की मेमोरी  जिसे एक बार ही प्रोग्राम किया  सकता है, और प्रोग्राम करने के बाद उसे पढ़ा भी नहीं जा सकता). 

और ना ही इसे किसी बाहरी डिवाइस जैसे इंटरनेट ,ब्लूटूथ से कनेक्ट कर सकते हैं इसलिए हम इसमें दावा करते हैं कि यह किसी प्रकार से हैक  नहीं किया जा सकता है | 

 इसके द्वारा कराए गए चुनाव व मतगणना  पूर्ण रूप से सही तथा  पारदर्शी है। 

Evm Machine
Evm Machine

बैलट पेपर का इतिहास  (BALLOT PAPPER METHOD )

भारत की आजादी के बाद पहले जनरल इलेक्शन से ही बैलट पेपर यानी  की मतदान पत्र से चुनाव कराया जाता था  जिसकी प्रक्रिया इस प्रकार है। 

  • आपके पहचान पत्र के आधार पर वहां उपस्थित मतदान अधिकारी आपकी पहचान निर्धारित करने के पश्चात आपको एक मतदान पत्र प्रदान करते थे|
  • मतदान पत्र पर आपके मनचाहा उम्मीदवार के सामने चिन्ह वाली मोहर लगाकर उस पत्र को मतदान पेटी में डाल दिया जाता था।  लगभग ये  सारी प्रक्रिया गुप्त रूप से की जाती थी| 
  • मतदान समाप्ति के बाद मतदान पेटी को अच्छे तरीके से सरकारी सील लगाकर मतदान पेटी को Ballot box control room  तक सुरक्षा के साथ सुरक्षित पहुंचाया जाता था। 
  • 50 के दशक से ही चुनाव में पोलिंग बूथ पर मतदान पेटी के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगने लगे थे।  1957  के चुनाव में पहली बार बूथ कैपचरिंग के आरोप लगाया गया था. उसके बाद 1960 के चुनाव में भी कई जगह पर बूथ  कैप्चर हुआ। उसके बैलट बॉक्स के साथ छेड़छाड़ के मामले  सामने आए थे। 
  • कुछ रिपोर्ट के अनुसार बताया जाता है कि उस समय से ही मजबूत पार्टी तथा  वहां के दबंग लोगों  तथा शरारती तत्वों या क्रिमिनल गैंग के द्वारा छेड़छाड़ किया जाता था। 
  • 1950 से 1980 तक के बीच में उत्तर प्रदेश व बिहार में छेड़छाड़ का मामला बहुत बड़े लेवल तक पहुंच गया  धीरे-धीरे या मामला अन्य राज्यों में बढ़ता गया जैसे बंगाल छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में भी होने लगा। 

बिगड़ते हालात को देखकर भारतीय चुनाव आयोग ने विशेष रूप से इसके समाधान के लिए  इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर विचार किया और  उपयोग में लाने का विचार किया | 

ईवीएम मशीन के विवादों का इतिहास

EVM MACHINE उपयोग से पहले ही विवादों में गिर गया था 1980 के दशक में पहला मामला दर्ज किया गया।  जो की ऐसी जोश वर्सेस सिवान  पिल्लई मामला केरल के चुनाव के लिए हुआ था जिसमें EVM का प्रयोग न करने की मांग की गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने  5 मार्च 1984 को फैसला दिया कि संविधान में पहले से निर्धारित किया गया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1991 की धारा 59 से लेकर 61  में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम सहित अन्य किसी भी प्रकार के वोटिंग सिस्टम क उपयोग नहीं किया जा सकता। 

भारतीय संसद द्वारा 1998 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके 61 ए में चुनाव आयोग को बैलट पेपर के अलावा EVM MACHINE से भी चुनाव कर लेने का अधिकार दिया। 

यह संशोधन 15 मार्च 1989 से प्रभावी हो गया.

इसकी पारदर्शिता को और बढ़ाने के लिए इलेक्शन कमीशन ने 2010 में एक एक्सपर्ट टीम की मीटिंग मिठाई, जिसके हेड  आईआईटी डायरेक्टर टीवी इंद्रसेन जी थे , 21 जून 2011 को इलेक्शन कमीशन ने VVPAT (Voter Verified Paper Audit Trail) साथ में लगाने का विचार किया, और इसका अलग-अलग जगह पर चुनाव में ट्रायल के तौर पर उपयोग किया जैसे केरल चेरापूंजी ईस्ट दिल्ली जैसलमेर कश्मीर राजस्थान आदि जगह पर ट्रायल लिया। 

19 जनवरी 2012 को इलेक्शन कमिशन VVPAT के इस्तेमाल के लिए तैयार हो गया

2013 में नागालैंड के चुनाव में इसका ट्रायल हुआ और 2014 में बड़े रूप में इसका उपयोग किया गया जैसे बेंगलुरु चेन्नई, पटना साहिब ,मिजोरम ,रायपुर ,गुजरात के गांधीनगर तथा  लखनऊ आदि। 

Q&A About EVM MACHINE USE

इन देशों के कुछ हिस्सों में ही उपयोग होता है –

अर्जेंटीना ,जापान ,मेक्सिको, पेरू, US , कनाडा फ्रांस बेल्जियम जैसे देश छोटे छोटे चुनाव में ही करते हैं 

कौन-कौन से देश इसका उपयोग नहीं करते

भारी संदेह होने के करण इंग्लैंड ,फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, यूनाइटेड स्टेट अमेरिका जैसे देशों ने इसको बैन  कर दिया है| 

किन-किन देशों ने  ट्राइल करके बंद कर दिया गया

फिलिपींस, ऑस्ट्रेलिया ,कोस्टा रिका ,आयरलैंड ,इटली, कजाकिस्तान, नार्वे ,यूनाइटेड किंगडम आदि देशों ने ट्रायल करने के बाद इसकी खामियां  देखते हुए प्रयोग करना बंद कर दिया| 

इन देशों में ट्रायल चल रहा है-

रसिया, मंगोलिया, बांग्लादेश ,इंडोनेशिया,  देशों में अभी ट्रायल के तौर पर उपयोग किया जा रहा है।

कौन-कौन से देश EVM MACHINE का उपयोग करते हैं

भारत , ब्राज़ील, भूटान वेनेजुएला आदि देश  भारत सरकार द्वारा बनाया गया ईवीएम मशीन उपयोग करते हैं फिजी देश भी इसका उपयोग करना चाहता है नीमीबिया देश 1700 कंट्रोल यूनिट और 3500 वॉलेट यूनिट ऑर्डर दिया है  एशिया महाद्वीप और अफ्रीका महाद्वीप के बीच बहुत सारे देशों ने एवं से मतदान करने की रुचि दिखाई है। 

  यदि आप ईवीएम मशीन क्या है ? कैसे काम करती है इसके बारे में जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें

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