परिचय –
इवीएम (EVM) एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है | EVM MACHINE का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है. पुराने मतदान तरीके को लेकर 50 के दशक से लोगों व विपक्षी पार्टियों को पूरा भरोसा नहीं होता था. तब भारत सरकार ने इसका समाधान निकालने के लिए कुछ कंपनियों को ईवीएम मशीन बनाने का जिम्मा दिया |और यह काफी कारगर साबित हुआ पहली बार इसका उपयोग भारत में 1982 में केरल के चुनाव में हुआ था|
2010 के बाद से भारत के लगभग सभी राज्यों में EVM MACHINE से ही चुनाव कराए जाते हैं। जिससे पेपर खर्च भी कम होता है और वोटो की गिनती भी आसानी से किया जाता है। जिसमें लोगों को वोट देने और गिनती करने में समय कम लगता है.
आज हम इसके बारे में जैसे कब बना, कहां बना, किसने बनाया और यह कैसे काम करता है सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से दे रहे हैं|
EVM MACHINE किसने बनाया और कैसे काम करता है –
भारत में सबसे पहले EVM MACHINE का आविष्कार एम बी हनीफा ने 1980 में किया था जिन्होंने इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल वोट काउंटिंग मशीन के नाम से 15 अक्टूबर 1980 को पेटेंट कराया था. इसको तमिलनाडु के 6 शहरों के सरकारी प्रदर्शनियों में लोगों के लिए दिखाया गया।
EVM MACHINE 6 वोल्ट बैट्री से संचालित होता है। जिसकी वजह से इस पूरे भारत में कहीं भी ले जाया जा सकता है तथा मतदाता को बिजली का झटका लगने का डर भी नहीं होता। इसकी उपयोगिता और फायदा को देखते हुए भारत सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा 1989 में इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद व भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड बैंगलुरु को बनाने का आदेश दिया। इसके डिजाइनर आईआईटी बॉम्बे के दो फैकल्टी प्रोफेसर प्रोफेसर थे जिनका नाम AG RAO और RAVI POOVAIAH जी थे।
EVM MACHINE की क्षमता
EVM MACHINE में अधिकतम 3480 वोटों को रिकॉर्ड किया जाता है. तथा एक EVM में 64 उम्मीदवारों के नाम सेव किए जा सकते हैं . एक बैलट यूनिट में केवल 16 उम्मीदवारों का नाम ही अंकित होता है। और कंट्रोल यूनिट में ऐसे केवल चार यूनिट को जोड़ा जा सकता है|
64 से ज्यादा उम्मीदवार होने की की स्थिति में पुराने मतदान विधि वैलेट पेपर का प्रयोग किया जाता है |
EVM MACHINE में मुख्यतः दो यूनिट होती है पहला कंट्रोल यूनिट दूसरा बैलट यूनिट ये दोनों आपस में 5 मीटर केबल से जुड़े होते हैं|
इसके बाद भी लोगों में असंतुष्टि के कारण इलेक्शन कमीशन ने इसमें और सुधार करने और पारदर्शिता को बढ़ाने हेतु एक VVPAT मशीन भी साथ में रखा गया। जिसमें मतदाता द्वारा निर्धारित किए गए अपने कैंडिडेट का चुनाव चिन्ह मतदाता का सीरियल नम्बर दिखता है | जिससे मतदाता को संतुष्टि मिलती है कि उसके द्वारा दिया गया मतदान सही कैंडिडेट के नाम से सुरक्षित हो रहा है|
कंट्रोल यूनिट CONTROL UNIT
EVM MACHINE में कंट्रोल यूनिट भी एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसमें 7 सेगमेंट डिस्पले लगा होता है। इसमें मुख्यतः दो बटन होते हैं एक बैलट बटन जिसको इलेक्शन अधिकारी द्वारा दबाया जाता हैं इस बटन को बैलट यूनिट पर हरा रंग की एक लाइट जल तथा इसके जलने के बाद मतदाता वॉलेट यूनिट पर अपने पसंदीदा कैंडिडेट के सामने का बटन दबाकर अपना मतदान निर्धारित करता है दूसरा टोटल बटन से मतदान के समय दबाकर टोटल कितने वोट हुए यह देखा जाता सकता है|
कंट्रोल यूनिट (CONTROL UNIT) की टेक्निकल सिक्योरिटी
कंट्रोल यूनिट में माइक्रोकंट्रोलर चिप लगी होती है ,जिसमे कि केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है| इसमें इसको बनाने वाली कंपनी भी दुबारा कुछ नहीं कर सकती है |
EVM MACHINE में एक बार प्रोग्राम करने के बाद ना इसे दुबारा पढ़ा (Readable) जा सकता है, ना ही दोबारा प्रोग्राम (Rewriteable) किया जा सकता है|
EVM MACHINE को ALON MACHINE भी कहा जाता है जिसमें रिमोट कंट्रोल से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है ना ही इसमें किसी प्रकार का वाई-फाई ब्लूटूथ डिवाइस काम करती है|
कंट्रोल यूनिट के मेमोरी में मतदान को 10 साल से भी अधिक समय तक सेव करके रखा जा सकता है|
एक ईवीएम मशीन 15 साल तक उपयोग में लाया जाता सकता है|
बैलट यूनिट BALLOT UNIT
बैलट यूनिट भी एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। इसमें सबसे ऊपर एक इंडिकेशन लाइट लगी होती है जो हरे रंग की होती है.इसमें 16 बटन लगे होतें है , तथा सभी बटन के साथ एक लाल रंग की लाइट लगी होती है| तथा इसमें एक बजर (स्पीकर) भी लगा होता है बटन दबाने के साथ ही बजता है |
सभी बटन सामने उस क्षेत्र के निर्धारित कैंडिडेट के नाम अलग-अलग बट्नों के सामने दिया होता है कंट्रोल यूनिट पर अधिकारियों द्वारा बैलट बटन दबाने के बाद बैलट यूनिट के ऊपर की दी हुई हरी लाइट जल जाती है इस दौरान मतदाता को अपने पसंदीदा कैंडिडेट के नाम व चिन्ह के सामने दिए हुए नीले बटन को दबाना होता है|
नीले बटन को मतदाता जैसे ही दबाता है तो ठीक उसके सामने वाली लाल बत्ती जल जाती है| और उसमें एक तेज बीप की आवाज सुनाई देती है जिससे कंफर्म किया जाता है कि मतदाता द्वारा दिया गया वोट पूर्ण रूप से कंट्रोल यूनिट में सुरक्षित हो गया है |
बैलट यूनिट में दिए हुए बटन को केवल एक बार ही दबाया जाना चाहिए क्योंकि एक बार दबाने के बाद यह मशीन अपने आप बंद हो जाती है|
यदि कोई व्यक्ति एक साथ दो बटन दबा दिया तो उसका मत रिजेक्ट कर दिया जाता है|
वीवीपीएटी VVPAT UNIT (Voter verifiable paper audit trail)
EVM MACHINE का पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में आठ संसदीय क्षेत्र में इसका ट्रायल के तौर पर इसका किया गया था|
मतदाता के बैलट यूनिट पर नीले बटन दबाने के बाद इस मशीन में एक बैलट स्लिप प्रिंट होती है, जिसमें मतदान का सीरियल नंबर तथा जिस कैंडिडेट को दिया गया है वोट उसका सिंबल छपता है जिसमें यह केवल 7 सेकंड के लिए दिखाई देता है| फिर यह पर्ची कट कर ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है |
यह भी पढ़े – PM Modi ने कहाँ खर्च किया 205 लाख करोड़, क्यों देश का क़र्ज़ बढ़ा
EVM MACHINE की सुरक्षा कौन करता है
इलेक्शन कमीशन के देखरेख में पुलिस सुरक्षा के द्वारा यह पोलिंग बूथ तक चुनाव से 1 दिन पहले पहुंचाया जाता है। तथा चुनाव के दिन उसे क्षेत्र के सभी कैंडिडेट या कैंडिडेट के एजेंट के सामने मतदान से ठीक पहले इसका एक बार ट्रायल किया जाता है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि यह मशीन सही काम कर रही है या नहीं, सभी पक्ष के सहमति के पश्चात ही मतदान का कार्य प्रारंभ किया जाता है|
मतदान के बाद मतदान अधिकारियों द्वारा ईवीएम मशीन पर सभी उम्मीदवारों के रिप्रेजेंटेटिव के सामने एक खास प्रकार के लेप वह पेपर से सील कर दिया जाता है| फिर उस मशीन को एक मंत्री की जीतना सुरक्षा के साथ EVM MACHINE कंट्रोल रूम तक पहुंचाया जाता है |मतगणना तक इसकी पूरी सुरक्षा की जाती है ताकि इसके साथ कोई छेड़छाड़ न किया जा सके |